- नंदी हाल से गर्भगृह तक गूंजे मंत्र—महाकाल के अभिषेक, भस्मारती और श्रृंगार के पावन क्षणों को देखने उमड़े श्रद्धालु
- महाकाल की भस्म आरती में दिखी जुबिन नौटियाल की गहन भक्ति: तड़के 4 बजे किए दर्शन, इंडिया टूर से पहले लिया आशीर्वाद
- उज्जैन SP का तड़के औचक एक्शन: नीलगंगा थाने में हड़कंप, ड्यूटी से गायब मिले 14 पुलिसकर्मी—एक दिन का वेतन काटने के आदेश
- सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का संदेश, उज्जैन में निकला भव्य एकता मार्च
- सोयाबीन बेचकर पैसा जमा कराने आए थे… बैंक के अंदर ही हो गई लाखों की चोरी; दो महिलाओं ने शॉल की आड़ में की चोरी… मिनट भर में 1 लाख गायब!
82/84 श्री कायावरोहणेश्वर महादेव
82/84 श्री कायावरोहणेश्वर महादेव
प्रजापति दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव को आंमत्रित न करने पर उमा क्रोधित हो गई और उन्होने शक्ति से भद्रकाली माया को उत्पन्न किया दूसरी और उमा के यज्ञ में भस्म हो जाने से क्रोधित होकर वीरभद्र को यज्ञ का नाश करने के लिए भेज दिया भद्रकाली और वीरभद्र ने मिलकर यज्ञ स्थल पर हाहाकर मचा दिया उन्होंने देवताओं को प्रताड़ित किया कई देवता प्रकोप से कायाविहिन हो गये कुछ देवता भय के कारण ब्रह्मा की शरण में गए ब्रह्मा कैलाश पर आये और शिव की स्तुति कर देवताओं को पुनः काया कैसे प्राप्त होगी उसका उपाय पूछा तब भगवान शंकर ने कहा की महाकाल वन के दक्षिण द्वार पर स्थित कायावरौहणेश्वर शिवलिंग के दर्शन करें। यह बात सुनकर सभी देवता
महाकाल वन में आए और शिवलिंग के दर्शन कर आराधना की और काया को प्राप्त किया देवताओं की काया प्राप्त करने के कारण शिवलिंग कायावरोहणेश्वर के नाम से विख्यात हुआ । मान्यता है कि जो भी मनुष्य शिवलिंग के दर्शन कर आराधना करता है वह पृथ्वी पर उत्तम राज सुख भोग कर अंतकाल में स्वर्ग में गमन करता है।